Skip to main content

Posts

Showing posts from March 8, 2020

साँड़

किसी भी समझदार आदमी से पूछ कर देख लीजिये कि वो अगले जन्म में क्या होकर पैदा होना चाहता है ! यदि सौ में से सौ सांड ना होना चाहें तो जो चाहे वो शर्त हार जाऊँ मैं आपसे ! जो सांड होने से इनकार करे उसे समझदार मानने में ही आपत्ति है मुझे ! आजकल के ज़माने में सांड होने से ज़्यादा सुरक्षित ,आनंद की बात कोई दूसरी है ही नहीं ! ये बिना ज़िम्मेदारी का राजयोग है ! राज्य सत्ता और धर्म सत्ता के मेल का अनोखा उदाहरण है ये ! इसे ऐसा समझे ,सांड होना ,पोप होने के साथ साथ अमेरिका का प्रसिडेंट हो जाने जैसा अनुभव है ! सांड को बैल मानने की गलती ना करें ! बैल और सांड को एक ही तराज़ू में तोलेंगे तो यह आपके सामान्य ज्ञान की कमी ही मानी जायेगी ! राजा और प्रजा ,मालिक और मज़दूर ,साहब और चपरासी जितना अंतर है दोनों में ! बैल का ख्याल आते ही चरमराती बैलगाड़ी दिमाग़ में चली आती है पर सांड ऐसी किसी भी घटिया ज़िम्मेदारी से परे होता है ! बैल चाहकर भी सांड नही हो सकते पर हर सांड जब चाहें तब बैलों के हक़ पर क़ाबिज़ होकर गायो का सतीत्व भंग कर सकता है ! दरअसल सांड ,बिगड़ा हुआ बैल है ! देवी के नाम पर छोड़ा गया निश्चिंत जी