किसी भी समझदार आदमी से पूछ कर देख लीजिये कि वो अगले जन्म में क्या होकर पैदा होना चाहता है ! यदि सौ में से सौ सांड ना होना चाहें तो जो चाहे वो शर्त हार जाऊँ मैं आपसे ! जो सांड होने से इनकार करे उसे समझदार मानने में ही आपत्ति है मुझे ! आजकल के ज़माने में सांड होने से ज़्यादा सुरक्षित ,आनंद की बात कोई दूसरी है ही नहीं ! ये बिना ज़िम्मेदारी का राजयोग है ! राज्य सत्ता और धर्म सत्ता के मेल का अनोखा उदाहरण है ये ! इसे ऐसा समझे ,सांड होना ,पोप होने के साथ साथ अमेरिका का प्रसिडेंट हो जाने जैसा अनुभव है !
सांड को बैल मानने की गलती ना करें ! बैल और सांड को एक ही तराज़ू में तोलेंगे तो यह आपके सामान्य ज्ञान की कमी ही मानी जायेगी ! राजा और प्रजा ,मालिक और मज़दूर ,साहब और चपरासी जितना अंतर है दोनों में ! बैल का ख्याल आते ही चरमराती बैलगाड़ी दिमाग़ में चली आती है पर सांड ऐसी किसी भी घटिया ज़िम्मेदारी से परे होता है ! बैल चाहकर भी सांड नही हो सकते पर हर सांड जब चाहें तब बैलों के हक़ पर क़ाबिज़ होकर गायो का सतीत्व भंग कर सकता है !
दरअसल सांड ,बिगड़ा हुआ बैल है ! देवी के नाम पर छोड़ा गया निश्चिंत जीव है ये ! भरपूर चर्बी से भरे पुट्ठों पर लगा त्रिशूल का निशान उसे पूरी मनमर्ज़ी का हक़ देता है ! कभी उसे सड़क पर निद्वंद ,गर्वीले भाव से टहलते देखिये ! जमाने भर की गायों का ऐजी होता है वो ! ट्रैफिक की लाल पीली लाइटें उसे रोक नहीं पाती ! रास्ता ख़ुद बख़ुद बन जाता है उसके लिये ! वो जहाँ मर्ज़ी हो अपने सींग घुसेड़ सकता है ! वो जहाँ मन हो मुँह मार सकता है ,जिसे चाहे उसे उठा कर पटक सकता है ! कोई उसे छू नहीं सकता ! किसी की औक़ात नहीं कि उसकी उठी हुई दुम को हाथ लगा सके ! उसे खदेड़ना ख़तरनाक हो सकता है ! साँड़ से उलझना पछाड़ खा जाने की ग्यारंटी है ! उसे हट हट कहने की ग़लती कोई करता नहीं ! ऐसा करना पब्लिक की धार्मिक भावनायें भड़काने का ख़तरा मोल जैसा हो सकता है !
शरीफ़ बंदे तो करते ही हैं ,गुंडे बदमाशो को भी आदमी साँड़ों की इज़्ज़त करना पड़ती है ! हर भला आदमी साँड़ों को देखकर साँड़ होना चाहता है पर उसका भलापन उसे साँड़ होने नहीं देता ऐसे में वो घुट घुट कर जीता है और साँड़ों से डरते हुये और उनकी इज़्ज़त करते करते मर जाता है !
ऐसे में किसका मन नहीं होगा कि वो साँड़ हो जाये ! साँड़ होते ही आप रोज़ी रोटी की चिंता से मुक्त हो जाते है ! साँड़ होते ही आप बे़शुमार धन दौलत ,हैसियत और वो सब कुछ हासिल कर लेते है जो किसी मेहनत भलेमानुस के लिये सात जन्मों में भी मुमकिन नहीं !
आपका साँड़ होना बताता है कि आप काम के आदमी है ! लोग आपसे मेलजोल बढाने में फख्र महसूस करने लगते है ! साँड़ होने की हैसियत पा लेते ही आप पूज्यनीय पिताजी आदरणीय भाई साहब और सम्माननीय जीजाजी जैसे सम्मान के हक़दार हो जाते है ! साँड़ों की पूजा करने वाले दे़श के नागरिक है हम ! ऐसे में साँड़ होने से अच्छा और कुछ है नहीं !
साँड़ होना बहुत मुश्किल काम हो ऐसा भी नहीं है ! यदि आप किसी बड़े बाप की औलाद हो तो समाज आपको वैसे भी बतौर साँड़ मंज़ूर कर ही लेता है ! यदि ऐसा नहीं है तो अपनी चमड़ी को थोड़ा मोटी करके भी साँड़ हुआ जा सकता है ! बेशुमार पैसा ,थोड़ी सी बेशर्मी और अतार्किक बातें आपको साँड़ होने में मदद कर सकती है !
सांड होना तमाम जिम्मेदारियो से मुक्त हो जाना है ! साँड़ होते ही आप सभी क़ानून क़ायदों से ऊपर हो जाते है ! क़ानून आपकी सुविधा के हिसाब से बनते है ,जो आप करे वही क़ायदा कहलाने लगता है ! आप को लाईन में नहीं लगना पड़ता ,लाइनें आपके पीछे लगती है ! कुल मिलाकर साँड़ होने से बेहतर और कुछ है नहीं !
सच्ची बात तो ये है कि सांड हुये बिना गुज़ारा है नही अब किसी का ! फ़ायदा साँड़ होने में ही है ! ऐसे में हम सभी की कोशिश यही होना चाहिये कि हम साँड़ हो जायें ! ख़ुद साँड़ होने की उम्र बीत चली हो तो अपने बच्चों को साँड़ होने दे ! साँड़ कभी हारता नहीं और विजेता होने की बात ही अलग है !
सांड को बैल मानने की गलती ना करें ! बैल और सांड को एक ही तराज़ू में तोलेंगे तो यह आपके सामान्य ज्ञान की कमी ही मानी जायेगी ! राजा और प्रजा ,मालिक और मज़दूर ,साहब और चपरासी जितना अंतर है दोनों में ! बैल का ख्याल आते ही चरमराती बैलगाड़ी दिमाग़ में चली आती है पर सांड ऐसी किसी भी घटिया ज़िम्मेदारी से परे होता है ! बैल चाहकर भी सांड नही हो सकते पर हर सांड जब चाहें तब बैलों के हक़ पर क़ाबिज़ होकर गायो का सतीत्व भंग कर सकता है !
दरअसल सांड ,बिगड़ा हुआ बैल है ! देवी के नाम पर छोड़ा गया निश्चिंत जीव है ये ! भरपूर चर्बी से भरे पुट्ठों पर लगा त्रिशूल का निशान उसे पूरी मनमर्ज़ी का हक़ देता है ! कभी उसे सड़क पर निद्वंद ,गर्वीले भाव से टहलते देखिये ! जमाने भर की गायों का ऐजी होता है वो ! ट्रैफिक की लाल पीली लाइटें उसे रोक नहीं पाती ! रास्ता ख़ुद बख़ुद बन जाता है उसके लिये ! वो जहाँ मर्ज़ी हो अपने सींग घुसेड़ सकता है ! वो जहाँ मन हो मुँह मार सकता है ,जिसे चाहे उसे उठा कर पटक सकता है ! कोई उसे छू नहीं सकता ! किसी की औक़ात नहीं कि उसकी उठी हुई दुम को हाथ लगा सके ! उसे खदेड़ना ख़तरनाक हो सकता है ! साँड़ से उलझना पछाड़ खा जाने की ग्यारंटी है ! उसे हट हट कहने की ग़लती कोई करता नहीं ! ऐसा करना पब्लिक की धार्मिक भावनायें भड़काने का ख़तरा मोल जैसा हो सकता है !
शरीफ़ बंदे तो करते ही हैं ,गुंडे बदमाशो को भी आदमी साँड़ों की इज़्ज़त करना पड़ती है ! हर भला आदमी साँड़ों को देखकर साँड़ होना चाहता है पर उसका भलापन उसे साँड़ होने नहीं देता ऐसे में वो घुट घुट कर जीता है और साँड़ों से डरते हुये और उनकी इज़्ज़त करते करते मर जाता है !
ऐसे में किसका मन नहीं होगा कि वो साँड़ हो जाये ! साँड़ होते ही आप रोज़ी रोटी की चिंता से मुक्त हो जाते है ! साँड़ होते ही आप बे़शुमार धन दौलत ,हैसियत और वो सब कुछ हासिल कर लेते है जो किसी मेहनत भलेमानुस के लिये सात जन्मों में भी मुमकिन नहीं !
आपका साँड़ होना बताता है कि आप काम के आदमी है ! लोग आपसे मेलजोल बढाने में फख्र महसूस करने लगते है ! साँड़ होने की हैसियत पा लेते ही आप पूज्यनीय पिताजी आदरणीय भाई साहब और सम्माननीय जीजाजी जैसे सम्मान के हक़दार हो जाते है ! साँड़ों की पूजा करने वाले दे़श के नागरिक है हम ! ऐसे में साँड़ होने से अच्छा और कुछ है नहीं !
साँड़ होना बहुत मुश्किल काम हो ऐसा भी नहीं है ! यदि आप किसी बड़े बाप की औलाद हो तो समाज आपको वैसे भी बतौर साँड़ मंज़ूर कर ही लेता है ! यदि ऐसा नहीं है तो अपनी चमड़ी को थोड़ा मोटी करके भी साँड़ हुआ जा सकता है ! बेशुमार पैसा ,थोड़ी सी बेशर्मी और अतार्किक बातें आपको साँड़ होने में मदद कर सकती है !
सांड होना तमाम जिम्मेदारियो से मुक्त हो जाना है ! साँड़ होते ही आप सभी क़ानून क़ायदों से ऊपर हो जाते है ! क़ानून आपकी सुविधा के हिसाब से बनते है ,जो आप करे वही क़ायदा कहलाने लगता है ! आप को लाईन में नहीं लगना पड़ता ,लाइनें आपके पीछे लगती है ! कुल मिलाकर साँड़ होने से बेहतर और कुछ है नहीं !
सच्ची बात तो ये है कि सांड हुये बिना गुज़ारा है नही अब किसी का ! फ़ायदा साँड़ होने में ही है ! ऐसे में हम सभी की कोशिश यही होना चाहिये कि हम साँड़ हो जायें ! ख़ुद साँड़ होने की उम्र बीत चली हो तो अपने बच्चों को साँड़ होने दे ! साँड़ कभी हारता नहीं और विजेता होने की बात ही अलग है !
Comments
Post a Comment