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Showing posts from July 22, 2013

दुर्लभ सावन

सावन की मस्त फुहारों मे जो मचल गये तो बात ही क्या, उस अलबेले अपनेपन से ना अचल रहे तो बात ही क्या, ओ पथिक मेरे, तुझे पार है जाना, गर अधरस्ते मे ठिठक गये, ना पार गये, तो बात ही क्या! इस मतवाले मन को समझना मुश्किल है, आसान नही, किंतु इस दुविधा के क्षण मे, जो बहक गये तो बात ही क्या! ~ प्रिन्स मिश्र 'अरविंद'