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Showing posts from May 5, 2009

सूनापन

मुद्दत हो गयी उन तन्हायियो को गुजरे , फिर भी इन आँखों में नमी क्यों है  ? तोड़ दिया मोहब्बत पर से यकीन मेरा, फिर भी मेरी दुनिया में तेरी कमी क्यों है ? हसरत है क्यों आज भी तेरी चाहत की मुझे, क्यों याद तेरी जेहेन से मिटती नहीं ? जलजला क्यों उमड़ता है ख्वाबो में मेरे, उस आशिकी की आगज़नी क्यों है  ? सन्नाटो में भी क्यों सुनता हू तुझे मेरी परछाई से क्यों तू जाती नहीं ? इन डबडबाती आँखों को तलाश तेरी, आज भी कहीं क्यों है   ?