मुद्दत हो गयी उन तन्हायियो को गुजरे ,
फिर भी इन आँखों में नमी क्यों है ?
तोड़ दिया मोहब्बत पर से यकीन मेरा,
फिर भी मेरी दुनिया में तेरी कमी क्यों है ?
हसरत है क्यों आज भी तेरी चाहत की मुझे,
क्यों याद तेरी जेहेन से मिटती नहीं ?
जलजला क्यों उमड़ता है ख्वाबो में मेरे,
उस आशिकी की आगज़नी क्यों है ?
सन्नाटो में भी क्यों सुनता हू तुझे
मेरी परछाई से क्यों तू जाती नहीं ?
इन डबडबाती आँखों को तलाश तेरी,
आज भी कहीं क्यों है ?
फिर भी इन आँखों में नमी क्यों है ?
तोड़ दिया मोहब्बत पर से यकीन मेरा,
फिर भी मेरी दुनिया में तेरी कमी क्यों है ?
हसरत है क्यों आज भी तेरी चाहत की मुझे,
क्यों याद तेरी जेहेन से मिटती नहीं ?
जलजला क्यों उमड़ता है ख्वाबो में मेरे,
उस आशिकी की आगज़नी क्यों है ?
सन्नाटो में भी क्यों सुनता हू तुझे
मेरी परछाई से क्यों तू जाती नहीं ?
इन डबडबाती आँखों को तलाश तेरी,
आज भी कहीं क्यों है ?
nice poem...good to c blogging being done in hindi as well...
ReplyDeletethis is almost the same as the other poem
ReplyDelete@rajat
ReplyDeleteactually yes...both are written in the same mood...that too for the same person!! that's why they appear the same...
u had so much in ur heart for her then what took u so long to tell her wat u feel? things wud hav been different dear...
ReplyDeletewaah yaar ..tune toh aashiiqui sikha di ......
ReplyDeletejawaab nahi yaaraaaa....
ReplyDeletetussi chhaa gaye..!